हम सिखाते हुए भी कितना कुछ सीखते हैं। बच्चों को गाना सिखाते सिखाते पता नहीं कब मैं भी सीखने लगा हूँ - सुर लगाना, ताल में गाना और निश्छल रहना ।
और हम..... बड़े होते ही घमंड से फूलने लगते हैं। बच्चे कितना भी अच्छा सुर लगाएं, उनकी प्यास बुझती ही नहीं है। हमारी तरह नहीं की सुर लगा भी नहीं और तारीफ की उम्मीद पहले हो जाती है। मेरे ख़याल से किसी भी कलाकार के लिए बच्चों के संपर्क में रहना एक वरदान ही है।
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