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Tuesday, November 22, 2016

तो बालमुरलीकृष्णन नहीं रहे ......

तो बालमुरलीकृष्णन नहीं रहे ...... 


1988 में एक अद्भुत वीडियो आया था - मिले सुर मेरा तुम्हारा. संगीत एवं कला जगत की शीर्ष विभूतियों को लेकर बना दूरदर्शन का यह वीडियो आज भी अप्रतिम है. संगीत सीखते हुए तब कुछ वर्ष ही हुए थे तथा उत्तर भारतीय प्रमुख संगीतज्ञों से तो मैं परिचित था, परन्तु इस वीडियो के माध्यम से मेरा प्रथम परिचय दक्षिण भारत के कुछ महान संगीतज्ञों से हुआ जिनमें विद्वान एम0 बालमुरलीकृष्णन भी एक थे. उनकी एक तान और स्वर्णिम मुस्कान सीधे दिल को जा लगी. 1997-98 में भारत की स्वतंत्रता के स्वर्ण जयंती समारोहों के अवसर पर दूरदर्शन ने एक सीरीज उत्तर-दक्षिण जुगलबन्दी की बनाई जिसमें पण्डित भीमसेन जोशी के साथ विद्वान एम0 बालमुरलीकृष्णन के गायन की जुगलबन्दी में उन्हें लम्बे समय तक सुना और अभिभूत हुआ. अब तो मैं यदा-कदा बालमुरलीकृष्णन जी को सुनने लगा था तथा उनका प्रशंसक बन चुका था.

प्रत्यक्ष रूप से उन्हें देखने का मौका मिला वर्ष 2003 में, जब चेन्नई की सुप्रसिद्ध मद्रास म्यूज़िक अकादमी में प्रख्यात गायक पद्मभूषण विद्वान टी वी शंकरनारायणन को उस वर्ष का संगीत कलानिधि अवार्ड मिलने वाला था. अलंकरण समारोह में मुख्य अतिथि थे विद्वान एम0 बालमुरलीकृष्णन जी. मुझे आज भी याद है उस समारोह का गरिमामय वातावरण. अलंकरण के बाद विद्वान टी0 वी0 शंकरनारायणन जी को स्वीकृति-भाषण के लिए बुलाया गया. उनके तमिल और अंग्रेजी के मिले जुले भाषण में जो बात मुझे याद रह गयी वह यह थी कि बालमुरलीकृष्णन जी उनके कॉलेज के दिनों के हीरो थे. उनके ही पदचिन्हों पर चलते हुए आज शंकरनारायणन जी को यह मुकाम हासिल हुआ है. यह सब होने के पश्चात जब  विद्वान एम0 बालमुरलीकृष्णन जी को भाषण के लिए बुलाया गया, तो हाल में उपस्थित हर व्यक्ति ने खड़े होकर तालियाँ बजाते हुए जिस अंदाज़ में उनका स्वागत किया, वह अविस्मरणीय है.

प्रत्यक्ष रूप से उनका गायन सुनने का अवसर बहुत बाद में दिल्ली में आया. पर टी0 वी0  पर तथा यूट्यूब पर उनका गायन हमेशा सुनता रहता था. विशेष रूप से उनके गाये हुए 3 स्वरों तथा 4 स्वरों वाले रागों का गायन अद्भुत है. राग नियमों का पालन न करते हुए जो राग उन्होंने बनाये तथा उनमें कृतियाँ भी बनायीं, वह उनकी प्रतिभा का लोहा मनवा कर  ही रहती है. गायन ही नहीं वायलिन के भी वे अप्रतिम कलाकार थे.

उत्तर तथा दक्षिण भारतीय संगीत शैलियों को निकट लाने में उनका योगदान कभी भूला नहीं जा सकता. मेरे तथा संगीत जगत की ओर से  विद्वान एम0 बालमुरलीकृष्णन जी को श्रद्धांजली। 

1 comment:

  1. It is so nice to read your article regarding such a great musicians. And the credit goes to you. So,please accept my modest thanks.

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